A.S.S. TECHNOLOGY
Recent

मकर संक्रांति के ही दिन सूर्य होते हैं उत्तरायण इसीलिए मनाई जाती है 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व

A.S.S. TECHNOLOGY
A.S.S. TECHNOLOGY

दैनिक बालोद न्यूज/डौंडीलोहारा।प्रतिदिन की भांति ऑनलाइन सत्संग का आयोजन संत श्री राम बालक दास के द्वारा किया गया इसमें सभी भक्तगण जुड़कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त किये।

मकर संक्रांति पर्व

सत्संग परिचर्चा में पुरुषोत्तम अग्रवाल जिज्ञासा रखी की बाबाजी, हिंदू धर्म के त्यौहारों की तारीख अंग्रेजी कैलेण्डर में बदलती रहती है लेकिन मकर संक्राति 14 जनवरी को ही होती है। कृपया इस पर प्रकाश डालने की कृपा करेंगे।, बाबा जी ने बताया कि यह 14 जनवरी के दिन ही विशेष रूप से इसे मनाया जाता है क्योंकि 14 जनवरी के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, और इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं अर्थात ग्रीष्म रितु का प्रारंभ माना जाता है, इसे 14 या 15 जनवरी को मनाने का एक और वजह है क्योंकि सूर्य का अर्दांत गमन खर अर्थात गधे पर होता है अर्थात उनके रथ से 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक घोडों को हटाकर गधों को रखा जाता है इसीलिए इस खरमास में कोई भी नवीन कार्य नहीं होते, और 14 जनवरी के बाद ही सूर्य नई ऊर्जा और नए गति के साथ उत्तरायण की ओर गमन करते हैं, और ग्रह नक्षत्रों की ऐसी स्थिति 14 जनवरी या 3 साल मे 15 जनवरी को पड़ना केवल एक सुसंयोग है इसीलिए मकर संक्रांति मनाया जाता है ।

राजकुमार यादव कुनकुरी ने जिज्ञासा रखी कि यज्ञ कुंड कितने प्रकार के होते हैं

तथा इनका महत्व क्या है, बाबा जी ने बताया कि जिस तरह से अलग-अलग यज्ञ है वैसे ही देव है कृतिका है मातृकाये है दिगपाल है उन्हीं के अनुसार एक यज्ञ की बहुत सारी विद्याएं और उन्हीं के अनुसार बहुत सारी यज्ञ वेदी और यज्ञ कुंड बनाए जाते हैं यज्ञ कुंड मुख्यत: आठ प्रकार के होते हैं और सभी का प्रयोजन अलग अलग होता हैं । 1. योनी कुंड – योग्य पुत्र प्राप्ति हेतु । 2. अर्ध चंद्राकार कुंड – परिवार मे सुख शांति हेतु । पर पतिपत्नी दोनों को एक साथ आहुति देना पड़ती हैं । 3. त्रिकोण कुंड – शत्रुओं पर पूर्ण विजय हेतु । 4. वृत्त कुंड – जन कल्याण और देश मे शांति हेतु । 5. सम अष्टास्त्र कुंड – रोग निवारण हेतु । 6. सम षडास्त्र कुंड – शत्रुओ मे लड़ाई झगडे करवाने हेतु । 7. चतुष् कोणा स्त्र कुंड – सर्व कार्य की सिद्धि हेतु । 8. पदम कुंड – तीव्रतम प्रयोग और मारण प्रयोगों से बचने हेतु ।

   सरस देवांगन ने प्रश्न किया कि अनुभव और अनुभूति में क्या अंतर होता है

बाबा जी ने बताया कि अनुभूति व अनुभव में बहुत अंतर होता है। अनुभूति को हम अपनी कल्पना और संवेदना से मन व ह्दय में महसूस करते हैं जब तक हम मन्वंतर में इसे ग्रहण ना कर ले हम किसी चीज की अनुभूति नहीं कर सकते … इसके विपरीत अनुभव हमारे जीवन में घटी घटनाओं से हमें प्राप्त होता है। उसका मन व ह्दय से कोई लेना नहीं होता है।

A.S.S. TECHNOLOGY
dainikbalodnews

Recent Posts

थाना सनौद क्षेत्र में अवैध रूप से शराब का परिवहन करते पकडा गया,थाना सनौद पुलिस द्वारा 01 आरोपी को किया गिरफ्तार ।

आरोपी द्वारा स्कुटी क० सीजी 24 एस. 0483 से शराब परिवहन करते पकड़ाया दैनिक बालोद…

1 day ago

ब्रेकिंग न्यूज : गुंडरदेही के इस नदी घाट में देखा गया अज्ञात शव ,हत्या की आशंका कुछ देर में खोदाई करेंगे अभी पुलिस विवेचना कर रहे हैं

दैनिक बालोद न्यूज/चंदन पटेल/गुण्डरदेही। गुंडरदेही के खेरूद घाट में रेत में दफन मिला एक अज्ञात…

1 day ago

धान से भरी पिकअप व सरकारी गाड़ी की टक्कर, आधे दर्जन से ज्यादा घायल

दैनिक बालोद न्यूज/चंदन पटेल/गुंडरदेही।बालोद-दुर्ग मुख्य मार्ग पर ग्राम खप्परवाड़ा के पास गुरुवार दोपहर 1 बजे…

1 week ago

छोटे लाल साहू को डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई

दैनिक बालोद न्यूज/घनश्याम साव/डोंगरगांव। मैट्स विश्वविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़) के समाज कार्य विभाग से छोटे लाल…

2 weeks ago
A.S.S. TECHNOLOGY