बालोद/ अर्जुन्दा। जिले के दो अलग-अलग गांव में परीक्षा परिणाम से निराश होकर दो छात्र घर छोड़कर भाग गए। पहली घटना अर्जुंदा क्षेत्र के एक गांव की है। जहां पर दसवीं कक्षा का एक छात्र सेकंड डिवीजन आने पर निराश होकर घर से चला गया। परिजन उसे ढूंढते थक गए। हताश होकर माता पिता ने पहले तो सुरेगांव थाना में शिकायत की फिर अर्जुंदा पुलिस को भी खबर की। बात आई कि छात्र दल्ली राजहरा में रहकर पढ़ता था इसलिए दल्ली थाने में भी गुमशुदगी की शिकायत की गई ।मामला परीक्षा परिणाम के दिन का ही है। परीक्षा परिणाम आने के बाद खुद को सेकंड डिवीजन देखकर छात्र निराश हो गया। उसे उम्मीद थी कि वह फर्स्ट डिवीजन में पास होगा लेकिन निराशा हाथ लगने पर वह घर में रहना पसंद ना कर चुपचाप बिना किसी को बताए निकल गया। 3 दिन बाद पता चला कि वह दुर्ग में भटक रहा है। जिसे परिजनों ने पुलिस व अन्य लोगों की मदद से वापस समझा-बुझाकर घर लाया। निराश होकर छात्र एक ट्रक में बैठकर दुर्ग चला गया था। छात्र का कहना था कि सेकंड डिवीजन आने के कारण माता-पिता के सामने शर्मिंदगी महसूस होने के डर से वह घर छोड़कर भाग गया था। माता पिता ने उन्हें समझाया कि रिजल्ट तो महज कागज का टुकड़ा है। अंक कम ज्यादा आना तो लगा रहता है, जिंदगी दोबारा नहीं मिलती इसलिए जो हुआ सो हुआ भूल कर नई शुरुआत करो। माता पिता के समझाइश के बाद छात्र का हौसला बढ़ा।
स्कूटी लेकर चला गया छात्र
इधर दूसरी घटना मालीघोरी क्षेत्र में हुई। यहां भी एक छात्र कम अंक आने पर निराश होकर घर से स्कूटी लेकर निकल गया। गनीमत वह ज्यादा दूर नहीं गया और 3 से 4 घंटे बाद खुद ही घर वापस आ गया। छात्र के गायब होने पर सोशल मीडिया में परिजन पोस्ट वायरल कर चुके थे कि हमारा बेटा निराश होकर कहीं चला गया है। कहीं मिले तो खबर करें। शाम तक छात्र के वापस आने पर परिजनों ने राहत की सांस ली। उन्हें भी परिजनों ने समझाया की निराश होने की जरूरत नहीं है।
अपील- बच्चे ना हो निराश तो पैरेन्ट्स भी पहले से ना डालें प्रेशर
इस तरह की घटना होना आम बात नहीं है। बच्चे भीतर से टूट जाते हैं या निराश हो जाते हैं या पैरेन्ट्स की चाहत के अनुसार जब वह उतनी परफॉर्मेंस नहीं दे पाते तो ऐसा कदम उठाते हैं। कभी कभी इस तरह की निराशा बच्चों को मौत के मुंह पर ले जाती है इसलिए dainikbalodnews.com अपील करती है कि बच्चे किसी भी तरह से निराश ना हो। जिस तरह हार जीत लगी रहती है उसी तरह फेल, पास, फर्स्ट,सेकंड डिविजन का सिलसिला भी चलता रहता है। मेहनत करते रहिए तो मंजिल भी अच्छी ही मिलेगी। एक न दिन सफलता जरुर हाथ लगती है तो वहीं पैरेंट्स से अपील की जाती है कि वह अपने बच्चों को पहले से ज्यादा उम्मीद ना करें। उन पर किसी तरह से प्रेशर ना बनाएं कि तुम्हें इतना पर्सेंट लाना है, मतलब लाना ही है। बल्कि उनका हौसला बढ़ाएं, उनको प्रोत्साहित करें कि खूब मेहनत करो और सफलता हासिल करो और जब बच्चों का परिणाम आए तो उस पर संतुष्ट भी रहिए। ताकि बच्चे को भी यह ना लगे कि वह मां-बाप को संतुष्ट नहीं कर पाया।
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