भाजपा नेता झीरम के षड्यंत्र की जांच से क्यों बचना चाहते हैं
बालोद/डौंडीलोहारा। इतिहास बताता है कि छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के माओवादियों या नक्सलियों के साथ गाढ़ा संबंध रहे हैं। यह लगातार संपर्क में रहे हैं और उनके साथ मिलकर राजनीतिक लाभ उठाते रहे हैं। हाल ही में दंतेवाड़ा में भाजपा के जिला उपाध्यक्ष जगत पुजारी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने नक्सलियों को ट्रैक्टर दिलवाया और अन्य तरह की मदद की। उक्त संयुक्त आरोप प्रेस कॉन्फ्रेंस में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चंद्रप्रभा सुधाकर व गुंडरदेही के विधायक कुंवर सिंह निषाद ने लगाए। उन्होंने बताया कि 2013 में दंतेवाड़ा के ही भाजपा के एक और उपाध्यक्ष शिवदयाल सिंह तोमर की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भाड़ में जब मोदी नेता पोडियम लिंगा गिरफ्तार हुआ तो पता चला कि तोमर ने नक्सलियों को पैसा देने का वादा किया था लेकिन बाद में मुकर गया इसलिए उसकी हत्या हुई । विधानसभा चुनाव से पहले नक्सली नेता पोडियम लिंगा को सीआरपीएफ ने गिरफ्तार किया था। 2011 के लोकसभा चुनाव में नक्सलियों ने दिनेश कश्यप की भी मदद की थी। इसी प्रकार वर्ष 2014 में रायपुर विमानतल पर एक भाजपा सांसद के वाहन में सवार ठेकेदार धर्मेंद्र चोपड़ा को गिरफ्तार किया गया था। उसने पुलिस को बयान दिया था कि वह सांसद और नक्सलियों के बीच तालमेल का काम करता था।
इसलिए नहीं हो रही झीरम के षड्यंत्र की जांच
भाजपा के नक्सलियों के संबंध का ही परिणाम था कि वर्ष 2008 के समय जब नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई सबसे तेज थी और सलवा जुडूम चल रहा था। तब भी बस्तर की 12 में से 11 सीटें भाजपा ने जीती थी। जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष व विधायक ने बताया यही गठजोड़ बस्तर टाइगर कहलाने वाले महेंद्र कर्मा की हार के लिए भी जिम्मेदार था। लगातार मिल रहे सबूत के आधार पर लगता है कि वर्ष 2013 के चुनाव से पहले कांग्रेस की परिवर्तन रैली पर जो कथित नक्सली हमला हुआ था, वह भी सामान्य नक्सली हमला नहीं था। इसी प्रकार वर्ष 2016 में कांग्रेस के दबाव पर तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने स्वीकार कर लिया था कि झीरम नरसंहार की सीबीआई जांच कराई जाएगी। लेकिन केंद्र सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया। रमन सिंह ने वर्ष 2016 से 2018 के चुनाव तक यह जानकारी छिपाई रखी। हम पूछना चाहते हैं कि क्यों भाजपा नेताओं से ही नक्सलियों के संबंध उजागर होते रहे हैं। क्या बस्तर में भाजपा नक्सलियों के भरोसे ही राजनीति करती रही है। भाजपा के प्रदेश नेतृत्व यानी मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष जिला स्तर के नेताओं और विधायकों – सांसदों को नक्सलियों से सांठगांठ की स्वीकृति देते रहे, नक्सलियों के शीर्ष नेताओं गणपति और रमन्ना के नाम किसके कहने से हटाए गए । भाजपा सरकार ने झीरम के षड्यंत्र की जांच से भाजपा के नेता आखिर क्यों बचना चाहते हैं । प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान हस्तीमल सांखला , केशव शर्मा , जागृत सोनकर सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उपस्थित थे।
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