दैनिक बालोद न्यूज/छत्तीसगढ़ में अनेकों प्रकार के लोक संस्कृति पर गाना बना हुआ लोक संस्कृति का अलग ही आनंद व मिठास होता है लेकिन आजकल लोक संस्कृति को छोड़कर फुवड़ गानों का बाढ़ आ गया है।
लेकिन इन दिनों मुंबइया मसाला गानों की तर्ज पर यहां भी गाने बनने लगे हैं। ऐसा ही एक गाना ‘दबा बल्लू’ इन दिनों यूट्यूब पर काफी पसंद किया जा रहा है।लेकिन इसके दो अर्थी बोल के चलते इसका चौतरफा विरोध शुरू हो गया है। यहां तक कि गांव-गांव में सरपंच और पंचायत सचिव आदेश जारी कर इस गाने के बजाने या फिर इसके संवाद बोलने पर प्रतिबंध लगा रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला आज कल सोशल मीडिया के माध्यम से वायरल हो रहा है जो कि बीते दिनों धरसींवा के कांदुल गांव में भी इसी तरह का फरमान जारी किया गया। गांव के सरपंच और पंचायत सचिव ने मिलकर आदेश जारी किया कि मड़ई मेला में किसी तरह की मारपीट। लड़ाई या दबा बल्लू जैसे संवाद बोलने पर 5,551 रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा।
बताया जाता है कि इसी तरह पलारी, बालोद, बेमेतरा के ग्रामीण इलाकों में भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। ग्राम पंचायत की ओर से इस गाने को बजाने या गाने पर 5 हजार का जुर्माना लगाया है। हालांकि इस तरह का जुर्माना लगाना कितना जायज है, यह बहस का विषय हो सकता है, लेकिन शायद पहली बार है जब छत्तीसगढ़ में किसी गाने को अश्लीलता का पर्याय मान कर उसके खिलाफ प्रतिबंध लगाया जा रहा है।
बता दें कि यूट्यूब पर भी कई लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं। कुछ लोग भोजपुरी फिल्म की तरह इसे भी अश्लीलता फैलाने वाला बता रहे हैं। हालांकि, बहुत सारे लोग इस गाने को पसंद भी कर रहे हैं।
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