कोरोना की आड़ में अधिकारी मुख्यालय से नदारद, मोबाईल के माध्यम से चला रहे दफ्तर


छोटे – छोटे कामों के लिए हितग्राहियों को पड़ रहा है भटकना ,कलेक्टर के आदेश का नहीं हो रहा अनुपालन


घनश्याम साव/डोंगरगांव।
तहसील मुख्यालय होने के बाद भी नगर के शासकीय कार्यालयों में अधिकारियों तथा कर्मचारियों का मनमानीपूर्ण रवैया सामने आया है। कलेक्टर द्वारा अपने – अपने पदस्थापना वाले स्थान में निवास करने के फरमान के बाद भी ऐसे अनेक अधिकारी और कर्मचारी हैं, जो कलेक्टर के आदेश को धता बताते हुए अभी भी राजनांदगांव या दुर्ग – भिलाई से आना जाना कर रहे हैं। इसके कारण छोटे – छोटे कामों के लिए हितग्राहियों को भटकना पड़ रहा है।

दो महिने पहले कलेक्टर ने प्रशासनिक कसावट के लिए आदेश निकाला था
लगभग दो महिने पूर्व जिले में पदस्थ होने के बाद कलेक्टर टोपेश्वर वर्मा द्वारा प्रशासनिक कसावट लाने के लिए जिले भर के शासकीय अधिकारियों तथा कर्मचारियों के लिए यह निर्देश जारी किया गया था कि सभी अपने – अपने पदस्थ स्थान में निवास करें। अन्यथा बाहर से आना – जाना करने वाले अधिकारियों तथा कर्मचारियों के वेतन की कटौती की जायेगी। इस आदेश का बकायदा सकुर्लर भी सभी विभागों को जारी किया गया था। इस आदेश का असर शुरू – शुरू में दिखाई पड़ा और अनेक अधिकारी, कर्मचारियों ने रोज – रोज आना जाना छोडक़र अपने पदस्थ स्थान को ही मुख्यालय बनाकर रहना प्रारंभ किया। परन्तु, कई ऐसे विभागों के अधिकारी – कर्मचारी भी हैं, जिन्होनें अभी तक अपना निवास मुख्यालय में नहीं बनाया है।
इसके कारण शासकीय कार्यालयों में मनमानी रवैया देखने को मिल रहा है। एक सर्वे के अनुसार रोज आना – जाना करने वालों में दो दर्जन विभागों के अधिकारी और कर्मचारियों के नाम सामने आये हैं। वहीं कुछ शैक्षणिक संस्थाओं के प्रमुख और शिक्षक – शिक्षिका भी बाहर से आना – जाना करते हैं।
स्वास्थ्य विभाग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बहुत सारे अधिकारी कर्मचारी भी राजनांदगांव व अन्य शहरों से आना जाना करते हैं

जबकि स्वास्थ्य विभाग आज के दिनों में कितना महत्वपूर्ण विभाग हैं सभी को पता है एक तरफ कोरोना नगर में अत्याधिक रूप में पैर प्रसार रहा है और वही दुसरी तरफ जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी के द्वारा रोज आना जाना कर रहा है निश्चित रूप से अधिकारी का कसावट न होना व मिलीभगत का बू आता है जिसके कारण इस तरह अधिकारी कर्मचारी अनियंत्रित रूप से आना जाना कर रहे हैं। मुख्यालय निवास सिर्फ कागजों में पालन हो रहा हैं।

सर्वाधिक महत्वपूर्ण विभागों में राजस्व विभाग में बहुत से मामले पेंडिंग है

जिसके कारण किसान और ग्रामीण लगातार एसडीएम और तहसील के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण स्थानीय नगर पंचायत कार्यालय में भी स्थिति भयावह बनी हुई है। एक तरह से नगर पंचायत में आमजनों के आने – जोन पर पाबंदी लगा दी गई है, वहीं रूटिन के कामकाज के अलावा अन्य कामों पर विराम लगा हुआ है। यहां के भी कुछ कर्मचारी लगातार बाहर से आना – जाना कर रहे हैं।


इसी तरह जनपद पंचायत कार्यालय के लगभग 80 प्रतिशत कर्मचारी रोज ब रोज बाहर से आना – जाना करते हैं

इन सभी विभागों की मानिटरिंग करने वाला कोई नहीं है और अधिकारी – कर्मचारियों की मनमानी लगातार जारी हैं।